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जानिए किस प्रकार घर पर ही मसूर की दाल से जैविक खाद तैयार करें

जानिए किस प्रकार घर पर ही मसूर की दाल से जैविक खाद तैयार करें

बागवानी में हम जिन खादों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें जैविक खादों का अपना अहम महत्व होता है। बहुत सारी खादों को हम घर पर ही तैयार कर सकते हैं। आज हम आपको मसूर की दाल से निर्मित होने वाली खाद के विषय में बताने जा रहे हैं। आपको इस खाद को तैयार करने के लिए सिर्फ दो मुठ्ठी मसूर की दाल की आवश्यकता होती है। दरअसल, आप अपने घर के लगभग सभी गमलों में इसका प्रयोग कर सकते हैं। मसूर की दाल से खाद निर्मित किए जाते हैं। खाद अथवा उर्वरक पोधों के पोषण के लिए तो आवश्यक होने के साथ-साथ उनके विकास में भी मददगार साबित होती है। हम घर में बागवानी करते समय विभिन्न प्रकार की जैविक और अजैविक खादों का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, इस लेख में हम आपको बागवानी में इस्तेमाल होने वाली एक ऐसी खाद के विषय में बताएंगे, जिसे निर्मित करने में आपको किसी भी अतिरिक्त सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। साथ ही, घर में मौजूद सामग्रियों के जरिए से आप यह खाद घर पर ही बना सकते हैं। दरअसल, इस खाद को हम मसूर की दाल से निर्मित करते हैं। साथ ही, इसका इस्तेमाल हम घर की बागवानी वाले पौधों के लिए भी कर सकते हैं।

खाद तैयार करने की विधि

मसूर की दाल की बात की जाए तो इसमें वे समस्त पोषक तत्व विघमान होते हैं, जिनके चलते पौधों में विकास और वृद्धि को रफ्तार मिलती है। इसको तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले दो मुठ्ठी दाल को तकरीबन आधा लीटर पानी में डाल लें। पानी में इस दाल को 4 से 5 घंटे तक रखें। यदि मौसम सर्दी का है, तो आप इसको रात भर भिगो कर रख सकते हैं।

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पानी का मिश्रण किस अनुपात में किया जाए

पौधों में इस खाद को डालने के लिए सर्व प्रथम पानी और दाल को अलग कर लेना है। आपको दाल के भिन्न किए गए पानी में 1:5 के अनुपात में पानी और मिला लेना है। इस पानी को पौधों में एक स्प्रे बोतल से छिड़काव के साथ में पौधों की मृदा में पानी को डाल देना है। यह पानी बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसकी वजह से पौधों में होने वाले विकास में वृद्धि होती है। आपको इस बात का विशेष ख्याल रखना है, कि यह पानी आपको पौधों में एक माह में केवल एक बार ही देना है। पानी से केवल पौधों की मिट्टी की ऊपरी सतह भीगने तक ही सिंचाई करनी चाहिए।

किस प्रकार प्रयोग करें

किसान भाइयों यदि आप इस दाल के पानी से खाद तैयार करना चाहते हैं, तो आपको एक बार के इस्तेमाल के पश्चात उस दाल को फेंकना नहीं है। क्योंकि, एक बार के उपयोग के पश्चात भी इसके पोषक तत्व खत्म नहीं होते हैं। आप इस दाल का इस्तेमाल तीन बार तक कर सकते हैं। पौधों में इस खाद का इस्तेमाल पानी के तौर पर नहीं करना चाहिए। बतादें, कि आप इस दाल को महीन पीस लें। साथ ही, इसे पौधों की मिट्टी की ऊपरी परत पर ही मिला दें। आपको इसे मिलाने से पूर्व एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि आप जिन पौधों में इस खाद को मिश्रित करने जा रहे हैं, उस मिट्टी की पहले गुड़ाई कर लें। इसके पश्चात ही इसका उपयोग करें।
इन सब्जियों को आप अपने घर पर ही उगा सकते हैं

इन सब्जियों को आप अपने घर पर ही उगा सकते हैं

आज हम आपको घर में सब्जियां उगाने के कुछ अहम तरीकों के बारे में जानकारी देंगे। यहां आज हम आपको सबसे आसान, सस्ता एवं टिकाऊ तरीका बताने वाले हैं। बतादें, कि इन पांच सब्जियों का उत्पादन आप घर में भी बड़े आराम से कर सकते हैं।  भारत के प्रत्येक घर में सब्जियों का प्रतिदिन उपयोग होता है। महीने के खर्च के मुताबिक, देखें तो केवल सब्जियों के लिए आपको प्रति माह हजारों रुपये खर्च करने होते हैं। ऐसी स्थिति में यदि हम कहें कि आप अपने घर में ही कुछ सब्जियां बड़ी आसानी से उगा सकते हैं तो आप क्या कहेंगे। आइए आज हम आपको पांच ऐसी सब्जियों के विषय में बताऐंगे, जिन्हें आप अपने घर में किसी पुराने डिब्बे अथवा बाल्टी के अंदर भी उगा सकते हैं।

आप टमाटर और बैंगन भी घर में उगा सकते हैं 

सर्दियों का मौसम है, ऐसे में टमाटर का उपयोग भारतीय घरों में काफी होता है। सब्जी बनानी हो अथवा फिर चटनी खानी हो टमाटर तो चाहिए ही। यदि आप अपने घर के अंदर टमाटर उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले एक पुरानी खाली बाल्टी अथवा टब लीजिए। उसके बाद उसमें मिट्टी एवं कोकोपीट आधा भर दीजिए। वर्तमान में टमाटर के अथवा बैंगन के पौधे लगा दीजिए। सुबह-शाम इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालें। आप देखेंगे कि कुछ ही समय के अंदर ये पौधे सब्जी देने लायक हो जाएंगे।

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धनिया और लहसुन सहजता से घर में ही उगा सकते हैं

सर्दियों में सर्वाधिक मांग धनिया की पत्ती एवं लहसुन की पत्ती की होती है। बाजार में ये काफी ज्यादा कीमतों पर बिकती हैं। इसके साथ ही बहुत बार ये ताजा भी नहीं मिलते। हालांकि, आप इन दोनों को बड़ी सहजता से घर में उगा सकते हैं। इन्हें उगाने के लिए आपको बस कोई टब अथवा पुरानी बाल्टी लेनी है, उसके बाद उसमें कोकोपीट एवं मिट्टी को मिलाकर आधा भर देना है। इसके उपरांत यदि आप धनिया उगाना चाहते हैं, तो उसके बीज इस के अंदर लगा सकते हैं। यदि आप लहसुन उगाना चाहते हैं, तो पहले लहसुन की कलियों को भिन्न-भिन्न कर लीजिए, फिर उनको सिरे की तरफ से मिट्टी में घुसा दीजिए। सुबह शाम इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालिए। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी बाल्टी अथवा टब हरी-हरी पत्तियों से भर जाएगी।

शिमला मिर्च भी आप घर पर ही उगा सकते हैं

शिमला मिर्च स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। सर्दियों में इसकी खूब मांग होती है। अब ऐसे में यदि आप अपने घर में शिमला मिर्च उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ऊपर दी गई प्रक्रिया को दोहराना पड़ेगा। फिर उस बाल्टी अथवा टब में शिमला मिर्च के एक या दो पौधे लगा देने होंगे। इन पौधों को लगाने के कुछ दिनों पश्चात इनमें शिमला मिर्च लगने शुरू हो जाएंगे। 
अशोक का पेड़ लगाने से क्या-क्या फायदा हो सकते हैं ?

अशोक का पेड़ लगाने से क्या-क्या फायदा हो सकते हैं ?

अशोक के पेड़ को ताम्रपल्लव के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि इसकी पत्तियों का रंग शुरुआत में तांबे की तरह होता है। अशोक के पेड़ की पत्तियों की लम्बाई 8 -9 इंच होती है, साथ ही पत्तियों की चौड़ाई 2-2.5 इंच होती है। अशोक का पेड़ छायादार होता है। अशोक के पेड़ को पूरे भारत में सबसे प्राचीन और पवित्र माना जाता है। अशोक के पेड़ में बहुत से आयुर्वेदिक गुण भी पाए जाते है, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों के लिए भी किया जाता है। 

अशोक का पेड़ कितने प्रकार का होता है 

अशोक का पेड़ मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है : एक है असली अशोक वृक्ष जो की आम के पेड़ की तरह फैलता है और दूसरा है लंबा अशोक वृक्ष जो की सामान्य रूप से सबके घरो में देखने को मिलता है। लम्बे बढ़ने वाले अशोक वृक्ष को देवदार की प्रजाति का वृक्ष माना जाता है। अशोक के पेड़ का वैज्ञानिक नाम सरका असोच है। 

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अशोक के वृक्ष से मिलने वाले फायदे 

अशोक के पेड़ में बहुत से आयुर्वेदिक गुण पाए जाते है, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में भी किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल ,पत्तियों और जड़ों का भी उपयोग बहुत सी चीजों में किया जाता है। अशोक के पेड़ को शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बढ़ाने में मददगार माना जाता है। अशोक के पेड़ को इकोफ्रैंडली माना जाता है , यह 24  में से 22 घंटे ऑक्सीजन देता है। 

त्वचा को स्वस्थ रखने में है फायदेमंद 

अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते है, जो शरीर के साथ साथ त्वचा को भी स्वस्थ रखते है। अशोक की छाल  को पीस कर चेहरे पर लेप करने से त्वचा में निखार आता है , साथ ही चेहरे पर होने वाले कील ,मुँहासे और दाग धब्बो को भी कम करता है। अशोक की छाल में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते है , जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार साबित होती है। 

मधुमेह के लक्षणों को कम करता है 

अशोक के पेड़ में हाइपोग्लाइसेमिक गुण भी पाए जाते है, जो शरीर के अंदर रक्त में होने वाले सर्करा यानी शुगर की मात्रा को कम करते है।  इससे शरीर के अंदर मधुमेह की बीमारी पर नियंत्रित किया जा सकता है। मधुमेह की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अशोक के पत्तो का भी सेवन किया जा सकता है। इससे मधुमेह के रोग में राहत मिलती है, साथ ही मधुमेह के रोग से शरीर में आने वाली कमजोरी और चिड़चिड़ापन को भी कम किया जा सकता है। 

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बबासीर जैसी बीमारी में राहत 

जिन व्यक्तियों को बबासीर जैसी बीमारियां है, उनके लिए अशोक का पेड़ लाभकारी है। अशोक के पेड़ की छाल को धूप में अच्छे से सूखा ले , उसके बाद छाल को अच्छे से पीस ले। रोजाना अशोक के पेड़ की छाल से बने चूर्ण का सेवन करने से बबासीर की बीमारी में राहत मिलेगी। इसके साथ साथ अशोक के पेड़ के फूलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।  यह पाचन किर्या को भी स्वस्थ बनाये रखता है।  

टूटी हड्डियों को जोड़ने में मददगार 

अशोक के पेड़ का उपयोग टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल में टैनिन और एनालजैसिक नामक गुण पाए जाते है , जो टूटी हुई हड्डियों , माँस फटना और गुम चोटों में काफी लाभदायक होती है। इसीलिए अशोक के पेड़ का पेड़ बहुत से आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल का लेप बहुत से ओर्थपेडीक द्वारा भी रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है। 

साँस संबंधी बीमारियों में है फायदेमंद 

अशोक के पौधे का सेवन साँस संबंधी बीमारियों में राहत पाने के लिए भी किया जाता है। इसमें अशोक के पेड़ के  बीजो को पीसकर एक चूर्ण तैयार कर लिया जाता है , जिसका सेवन पान के पत्ते के साथ किया जाता है। इसका रोजाना सेवन करने से साँस संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। स्वसन किर्या को भी बेहतर बनाता है। 

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क्या अशोक का पेड़ घर में लगाना शुभ है ?

अशोक का पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है , क्योंकि अशोक का पेड़ घर में नकारात्मक ऊर्जा को आने से रोकता है। अशोक का पेड़ देखने में तो सूंदर लगता है , साथ ही यह घर में सुख और समृद्धि का भी प्रतीक है। जिन घर में वास्तु दोष होता है , उन्हें घर में अशोक का पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है।  

अशोक के पेड़ से होने वाले नुक्सान क्या है ?

अशोक के पेड़ से मिलने वाले बहुत से फायदे है। लेकिन यही दूसरी तरफ इसके कुछ नुक्सान या दुष्प्रभाव भी है, जो स्वास्थ्य को विशेष रूप से नुक्सान पहुँचा सकते है।  इसीलिए अशोक के पेड़ का  इस्तेमाल कुछ दिशाओ में हानिकारक माना जाता है। इन परिस्तिथियों में हो सकते है अशोक के पेड़ के सेवन करने से नुक्सान। 

हाई ब्लड प्रेसर वाले न करें अशोक का सेवन 

जिन लोगो को हाई ब्लड प्रेसर की समस्या है ,उन्हें अशोक के पेड़ से मिलने वाले किसी भी प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि आप इस स्तिथि में इनका सेवन करते है तो आपको बहुत से नुक्सान या परेशानियों का सामना करना पड सकता है जैसे :सीने में दर्द होना ,साँस का फूलना ,नींद ना आना और बहुत ज्यादा थकावट महसूस करना ये सभी परेशानियां हो सकती है। इसीलिए हाई ब्लड प्रेसर के रोगियों को अशोक का सेवन नहीं करना चाहिए। 

गर्भवती महिलाये न करें सेवन 

अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते हैं , जिनका तासीर गर्म होता है और वो अंदर शरीर में जाकर किसी प्रकार की परेशानी का भी कारन बन सकता है।  गर्भवती महिलाओ को अशोक के पेड़ से बनी किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ अगर कोई और व्यक्ति जो पहले से ही किसी बीमारी से सम्बंधित दवाइयाँ ले रहा है , उसे भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। शरीर में इन्फेक्शन या अलेर्जी सम्बंधित बीमारियाँ हो सकती है। गर्भवती महिलाये डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद इसका सेवन कर सकती है। 

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मासिक धर्म में न करें उपयोग

मासिक धर्म के दौरान अशोक के पेड़ का उपयोग नहीं करना चाहिए। बहुत से लोगों का मानना है मासिक धर्म के वक्त अधिक रक्त बहने पर अशोक के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से आराम मिलता है। लेकिन ऐसा करने से मासिक धर्म और भी बिगड़ सकता है , इसीलिए इसका उपयोग किसी डॉक्टर की परामर्श के बाद ही करें।  यदि अशोक की चाल का काढ़ा बनाकर या फिर रोज सुबह उसके पत्तों का सेवन मासिक धर्म के दौरान किया जाता है तो इससे मासिक धर्म में अनियमित्ता आ सकती है।

साथ ही अशोक के पत्तों का इस्तेमाल धार्मिक और मांगलिक कार्यों में भी किया जाता है।  अशोक के पेड़ को सबसे शुद्ध और पवित्र पेड़ माना जाता है। हिन्दू धर्म में अशोक के पेड़ को शुभता का प्रतीक माना जाता है।  अशोक का पेड़ घर में गुरुवार और शुक्रवार को लगाना शुभ माना जाता है, इसलिए अशोक के पेड़ को हमेशा इन्ही दिनों लगाना फायदेमंद माना जाता है। 

अशोक के पेड़ का उपयोग पथरी के दर्द को दूर करने के लिए , पेट के कीड़ो को मारने के लिए और साथ ही बदन में होने वाले दर्द में भी सहायक होता है। अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे गुण भी पाए जाते है , जो हृदय संबंधी बीमारियों को भी नियंत्रित करते है।  अशोक के पत्तों या फूलों का सेवन शरीर में रक्त के सर्क्युलेशन को सुचारु रूप से बनाये रक्त है।  साथ ही ये याद्दश्त या दिमाग के लिए भी बेहतर माना जाता है। 

घर की बालकनी को गुलाब के फूलों से महकाने का आसान तरीका

घर की बालकनी को गुलाब के फूलों से महकाने का आसान तरीका

नई दिल्ली। हर कोई अपने आशियाने को सुंदर और खूबसूरत बनाना चाहता है। घर के आस-पास के वातावरण को भी अच्छा रखना हर किसी की इच्छा रहती है। बालकनी में लगे पौधे न सिर्फ आपके घर को स्वच्छ बनाने का काम करते हैं बल्कि पूरे घर को ब्यूटीफुल भी बनाते हैं। इसलिए कई लोग आउटडोर प्लांट के अलावा इंडोर प्लांट भी लगाते हैं। अपने घर के अंदर लोगज्यादा फ्लावर प्लांट जैसे - चमेली, रोज प्लांट आदि लगाना पसंद करते हैं।

अगर आप भी अपने घर की बालकनी को सुंदर गुलाब के फूलों से महकता हुआ देखना चाहते हैं, तो पढ़िए ये पूरी खबर:

1. अच्छी नर्सरी से गुलाब के पौधे का चयन

- बालकनी में गुलाब के पौधा लगाने के लिए किसी अच्छी नर्सरी से ही पौधा लें। अच्छी नर्सरी से मिलने वाले पौधे जन्म से ही स्वस्थ होते हैं। इनमें कोई रोग नहीं होता है और रोगों से लड़ने की क्षमता भी अधिक होती है।

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2. गमले में उपयोगी मिट्टी पर विशेष ध्यान दें

- पौधों के लिए मिट्टी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए आपकी बालकनी के गमले में उपयोगी मिट्टी ही होनी चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि गुणवत्तापूर्ण मिट्टी से पौधे के विकास अच्छा होता है।

3. इस तकनीकी से लगाएं पौधे

- बालकनी में गुलाब का पौधा लगाने के लिए मिट्टी के बने हुए गमले खरीद लें। उसमें उचित मात्रा में उपयोगी मिट्टी डालें। पौधे को गमले में ठीक से लगाकर पानी डालें। फिर समय-समय पर पौधे की देखभाल करें। और बीच-बीच में कीट-पतंगों से भी बचाकर रखें। इसके लिए पौधे पर कीटनाशक छिड़काव भी करें। पौधे में पोषक तत्वों का छिड़काव भी आवश्यकता करते रहें। पौधे की वृद्धि का भी ख्याल रखें।

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4. गुलाब के पौधे के लिए ठंडा मौसम है अच्छा

- गुलाब के पौधे के लिए ठंडा मौसम काफी प्रतिकूल रहता है। अत्यधिक धूप और गर्मी से गुलाब के पौधे को नुकसान की आशंका रहती है। इसीलिए बालकनी में मौसम को देखते हुए गुलाब के गमले को रखें।

5. घर में गुलाब के फूल से फायदे

- गुलाब के फूल के पौधे सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। इन पौधों को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। - घर में पेड़-पौधे लगाने से वातावरण में ठंडक बनी रहती है। ये पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद है। - गुलाब के फूल की खुशबू (महक) से घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है। - गुलाब के फूल की पत्तियों को खाने के उपयोग में लिया जा सकता है। - गुलाब के साथ-साथ अन्य फूलों से भी बालकनी की रौनक बढ़ती है। ------- लोकेन्द्र नरवार
ऐसे करें सहजन की खेती, जल्द ही हो जाएंगे मालामाल

ऐसे करें सहजन की खेती, जल्द ही हो जाएंगे मालामाल

पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि देश के किसान सहजन की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण सहजन की लोगों के बीच बढ़ती हुई लोकप्रियता है। 

जिससे बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा यह फसल कम लागत में किसानों को अच्छी खासी कमाई भी करा देती है। जिसके कारण किसान इसकी खेती करना पसंद कर रहे हैं। 

बाजार में सहजन के फूल और उसके फलों की भारी मांग रहती है। सहजन के बीजों का तेल निकालकर उपयोग में लाया जाता है। साथ ही इसके बीजों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जिसका विदेशों में निर्यात किया जाता है। 

इस हिसाब से देखा जाए तो सहजन की खेती हर प्रकार से किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। सहजन के बारे में कहा जाता है कि यह पेड़ बंजर भूमि पर भी उगाया जा सकता है। 

साथ ही इस पेड़ की देखभाल करने की भी कोई खास जरूरत नहीं होती। सहजन के फूल, फल, पत्तियों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की सब्जियों के रूप में किया जाता है। 

औषधीय गुणों से युक्त सहजन की खेती भारत के अलावा  फिलीपिंस, श्रीलंका, मलेशिया, मैक्सिको जैसे देशों में भी की जाती है। अगर किसान भाई एक एकड़ खेत में सहजन की खेती करते हैं तो साल भर में 6 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।

सहजन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

सहजन का पौधा शुष्क और उष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगता है। इसकी खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। इस तरह की जलवायु में सहजन के पौधे तेजी से विकसित होते हैं। 

ज्यादा ठंड सहजन के लिए अच्छी नहीं होती है। अधिक ठंड में सहजन के पौधे पाले के शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही ज्यादा तापमान भी सहजन सहन नहीं कर सकता। 

40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर सहजन के फूल झड़ने लगते हैं। यह पौधा विभिन्न प्रकार की परिस्थियों में बेहद आसानी से उग जाता है। इसके ऊपर कम या अधिक वर्षा का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

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सहजन की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव

सहजन की खेती हर प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। कहा जाता है कि बेकार, बंजर और कम उर्वरा शक्ति वाली भूमि में भी सहजन का पौधा आसानी से उग जाता है। 

साथ ही यदि आपके पास बलुई दोमट मिट्टी वाले खेत उपलब्ध हैं तो यह सहजन के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। ध्यान रहे कि खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

सहजन के पौधों की रोपाई

सहजन के पौधों को कटिंग के द्वारा लगाया जाता है। इसके लिए 45 सेंटीमीटर लंबी कलम तैयार करना चाहिए। कलमों को खेत में सीधे लगाया जा सकता है। कलम को लगाने के पहले खेत में गड्ढे तैयार कर लें। 

उन गड्ढों में कम्पोस्ट या खाद डालें और मिट्टी से भर दें, इसके बाद गड्ढों में पानी डालें। जब पानी सूख जाए तो कलम को लगा दें और हल्की सिंचाई कर दें। ध्यान रखें कि एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 3 मीटर होनी चाहिए।

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इसके अलावा सहजन के बीजों के माध्यम से भी पौध तैयार की जा सकती है। इसे नर्सरी में तैयार किया जाना चाहिए। इसके बाद पौधों को भी गड्ढे में समान प्रक्रिया के साथ लगाना चाहिए। भारत के अधिकतर राज्यों में सहजन की रोपाई जुलाई से सितम्बर माह के बीच की जाती है।

सहजन की किस्में

बाजार में सहजन कि जो किस्में उपलब्ध हैं उनमें पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयंबटूर 1 तथा कोयंबटूर 2 प्रमुख हैं। इन किस्मों के पेड़ 4 से 6 मीटर तक ऊंचे होते हैं साथ ही 100 दिन के भीतर फूल लगने लगते हैं। इन पेड़ों से लगातार 4 से 5 वर्षों तक फसल प्राप्त की जा सकती है।

सहजन की पैदावार एवं मुनाफा

यह एक अधिक मुनाफा देने वाली फसल है, जिसमें किसान भाई कम लागत में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। प्रत्येक पेड़ से एक साल में कम से कम 50 किलोग्राम सहजन प्राप्त किया जा सकता है। 

फल में रेशा आने से पहले तक सहजन के फलों की बाजार में अच्छी खासी मांग रहती है। अगर किसान भाई दो एकड़ खेत में सहजन की खेती करते हैं तो हर साल लगभग 10 लाख रुपये तक की कमाई बेहद आसानी से कर सकते हैं।

इस प्रकार घर पर सब्जियां उगाकर आप बिना पैसे खर्च किए शुद्ध और ताजा सब्जियां पा सकते हैं

इस प्रकार घर पर सब्जियां उगाकर आप बिना पैसे खर्च किए शुद्ध और ताजा सब्जियां पा सकते हैं

अगर आप घर में सब्जियां उगाना चाहते हैं, तो आपके लिए ये बड़े काम की खबर है। यहां दिए गए टिप्स को अपनाकर आपका घर हरा भरा रहेगा। महंगाई से लाल हुए टमाटर तो आपको अच्छे से याद ही होंगे। टमाटर के भाव पहले से कुछ कम अवश्य हुए हैं पर अभी भी बहुत सी सब्जियों के भाव आसमान पर हैं। घर में सब्जियां पैदा करने के कुछ टिप्स ना सिर्फ आपकी जेब हल्की होने से बचाएंगे। साथ ही, यह हरियाली आपके मन को भी हल्का रखने में सहायता करेगी।

किसान भाई छोटी जगह से शुरुआत करें

अगर आपको बागवानी का अनुभव नहीं है तो कम जगह से शुरुआत करें। उत्पादन के लिए चार-पांच प्रकार की सब्जियां चुनें और हर एक तरह के कुछ पौधे लगाऐं। कंटेनरों में सब्जियां उगाना भी काफी अच्छा तरीका है। धूपदार बालकनी भी बेहतर रहेगी। याद रखें जिन सब्जियों को खाएं उन्हीं सब्जी को उगाएं। ये भी पढ़े: बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा

उत्तम किस्मों का चयन बेहद जरूरी

बीज पैकेट, टैग अथवा लेबल पर दिए गए विवरण पर भरपूर ध्यान दें। हर एक सब्जी की कुछ विशेषताएं होती हैं। बहुत सारी किस्में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता, बेहतर पैदावार अथवा बेहतर गर्मी या ठंड सहनशीलता प्रदान करती हैं।

किसान भाई उत्पादकता पर ध्यान दें

आरंभ में लोग बहुत ज्यादा पौधे लगाने की गलती करते हैं। टमाटर, मिर्च जैसी सब्जियाँ संपूर्ण मौसम में मौजूद रहती हैं। इस वजह से आपको अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत सारे पौधों की जरूरत नहीं हो सकती है। बाकी सब्जियां, जैसे गाजर, मूली आदि सिर्फ एक बार काटी जा सकती हैं। उसके बाद उन्हें दोबारा लगाने की जरूरत होगी। ये भी पढ़े: मूली की खेती (Radish cultivation in hindi)

मौसम के मुताबिक फसल चयन करना चाहिए

ठंडे और गर्म मौसम दोनों में सब्जियां लगाने से आपको बसंत, गर्मी एवं पतझड़ के दौरान निरंतर सब्जियों की फसल मिलेगी। शुरुआती बसंत में, सलाद, जैसे मटर, मूली, गाजर और ब्रोकली की फसल उगाएं। बतादें, कि ठंडे मौसम के उपरांत गर्म मौसम की पसंदीदा फसलें जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन लगाएँ। पतझड़ में आप आलू, पत्तागोभी एवं केले की फसल ले सकते हैं। बेल वाली फसलें लगाकर आप बगीचे में ऊधर्वाधर भूमि का उपयोग कर प्रति वर्ग फुट पैदावार बढ़ा सकते हैं।

सब्जियों की खेती के लिए धूप और पानी अत्यंत आवश्यक है

बतादें, कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपना बगीचा कहां लगाते हैं। आपके बगीचे को पानी एवं भरपूर धूप की दो बुनियादी जरूरतें पूरी करनी होंगी। अगर आपकी साइट को दिन में कम से कम 4 घंटे सीधी धूप मिलती है तो गाजर, मूली और चुकंदर जैसी जड़ वाली सब्जियां पैदा की जा सकती हैं। इससे अधिक धूप मिलने पर आप तुलसी, मेंहदी, टमाटर, खीरा और बीन्स जैसी धूप पसंद सब्जियां उगा सकते हैं। ये भी पढ़े: बैंक की नौकरी की बजाए सब्जियों की खेती को चुनकर किसान हुआ मालामाल बीजों के अंकुरित होने अथवा रोपाई के पश्चात पहले कुछ सप्ताहों के दौरान आपको बार-बार पानी देने की जरूरत पड़ेगी। इसके माध्यम से नाजुक पौधों को मजबूत जड़ें एवं तने पैदा करने में सहायता मिल सके। एक बार जब आपके पौधे स्थापित हो जाएं, तो अच्छा होगा कि आप अपने बगीचे को प्रति दिन थोड़ा छिड़काव करने की जगह हर कुछ दिनों में एक लंबा पानी दें। उसके बाद पानी मिट्टी में गहराई तक चला जाएगा, जो जड़ों को गहराई तक बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।